देहरादून। अपर मुख्य सचिव आनन्द बर्द्धन की अध्यक्षता में शुक्रवार को सचिवालय में स्प्रिंग एंड रिवर रिजूविनेशन अथॉरिटी (SARRA) की राज्य स्तरीय कार्यकारी समिति की बैठक हुई। इसमें विभिन्न केंद्रीय संस्थानों एवं राज्य के विभिन्न विभागों के द्वारा प्रतिभाग किया गया।
अपर मुख्य सचिव द्वारा समस्त जनपदों में इसी प्रकार से वैज्ञानिक आधार पर जल संसाधनों के सतत विकास हेतु योजना बनाने के निर्देश सभी विभागों को दिए गए। अपर मुख्य सचिव ने एनआईएच और आईआईटी रूड़की द्वारा नयार, शिप्रा, गौड़ी तथा सोंग नदी की दीर्घकालिक उपचार योजनाओं हेतु किए जा रहे अध्ययन की समीक्षा भी की। उन्होंने सभी कार्यों को शीघ्र पूर्ण करने के निर्देश भी दिए।
अपर मुख्य सचिव ने SARRA को प्रत्येक जिले मे जल स्रोत, नदी एवं सहायक धाराओं के उपचार मॉडल को विकसित करने के निर्देश दिए ताकि इस महत्वाकांक्षी कार्य को आगे बढ़ाने हेतु इस मॉडल को विभिन्न विभागों और आम जनमानस द्वारा अपनाए जाने हेतु प्रेरित किया जा सके।
बैठक में अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी sarra, नीना ग्रेवाल ने बताया कि राज्य में विभिन्न जनपदों द्वारा SARRA के साथ convergence द्वारा जल स्रोतों के पुनरुद्धार हेतु कार्य किए जा रहे हैं। वर्तमान तक जनपदों से जल स्रोतों को वैज्ञानिक आधार पर उपचारित करने हेतु ₹29 करोड़ की कार्य योजनाओं को स्वीकृति दी गई है, जिसमें SARRA द्वारा 12 करोड़ रुपये convergence के रूप में आवंटित किए जा रहे है।
सारा की राज्य स्तरीय कार्यकारी समिति द्वारा आज टिहरी जिले की आरगाड़ और सोंग सहायक नदी/धारा के वैज्ञानिक रूप से उपचार हेतु प्रस्तावित योजनाओं को भी अनुमोदित किया गया जिनकी लागत 8.16 करोड़ रुपये है।
बैठक मे Dehradun के भूजल स्तर के रिचार्ज हेतु 51 रिचार्ज shaft निर्मित करने हेतु स्वीकृत दी गई। इनका निर्माण विभिन्न सरकारी इमारतों के प्रांगण में लघु सिंचाई विभाग द्वारा केन्द्रीय भू जल बोर्ड की सहायता से किया जाएगा।
राष्ट्रीय जलविज्ञान संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ एस एस रावत ने अपर मुख्य सचिव को केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा विकसित रिसोर्स बुक “स्प्रिंगशेड मैनेजमेंट इन माउंटेनियस रीजन्स ऑफ इंडिया” भेंट की । साथ ही केंद्रीय मंत्रालय द्वारा देश भर में स्प्रिंग्स की गणना की योजना की प्रगति से अपर मुख्य सचिव को अवगत कराया।
बैठक मे NIH, IIT Roorke, केंद्रीय भूजल बोर्ड, वन, सिंचाई, लघु सिंचाई, कृषि, ग्राम विकास, आदि केंद्रीय और राज्य सरकार के विभागों ने प्रतिभाग किया।