उत्तराखंड

राज्य प्राथमिक शिक्षक संघ ने शिक्षा विभाग के इस आदेश को ठहराया भेदभावपूर्ण

कहा- केवल प्राइवेट स्कूलों के हित में

देहरादून। राज्य प्राथमिक शिक्षक संघ ने कक्षा एक में प्रवेश की न्यूनतम आयु सीमा 6 वर्ष  की बात  प्रमुखता से उठाई थी। संगठन का कहना था कि यदि आयु सीमा में शिथिलता प्रदान करते हुए इस पूर्व की भांति 5 वर्ष नहीं किया गया तो प्रदेश के राजकीय प्राथमिक विद्यालयो में ताले लटकने की नौबत आ जाएगी।

संगठन की मांग का संज्ञान लेते हुए विभाग द्वारा आयु सीमा में छूट प्रदान किए जाने का प्रस्ताव शासन को प्रेषित किया गया, जिस पर मुख्यमंत्री की सहमति के बाद इस आशय का संशोधित शासनादेश भी जारी कर दिया गया।  परंतु, राज्य में आचार संहिता प्रभावी होने के कारण यह आदेश राज्य निर्वाचन आयोग को अनुमति के लिए भेजा गया था। उनकी अनुमति के पश्चात यह शासनादेश आवश्यक कार्रवाई हेतु विभाग को भेजा जा चुका है, जिस पर शीघ्र ही विभागीय आदेश निर्गत हो जाएंगे, परंतु इस आदेश में आयु सीमा में छूट हेतु केवल नर्सरी, एलजी एवं यूकेजी में अध्यनरत बच्चों का उल्लेख किया गया है जिसे लेकर शिक्षक संगठन ने इसे सौतेला बर्ताव बताते हुए प्रदेश के राजकीय विद्यालयों के साथ भेदभावपूर्ण बताया है।

उत्तराखंड राज्य प्राथमिक शिक्षक संघ के प्रांतीय तदर्थ समिति के पदाधिकारी मनोज तिवारी ने कहां कि इस आदेश से सीधे-सीधे प्राइवेट विद्यालय को इसका लाभ मिलेगा क्योंकि राजकीय विद्यालय में नर्सरी, एलकेजी एवं यूकेजी की कक्षाएं संचालित नहीं होती हैं जबकि इसके साथ-साथ इस आदेश में आंगनवाड़ी, बाल वाटिका एवं गृह आधारित (जो की शिक्षा अधिकार अधिनियम के अंतर्गत प्रावधानित भी है) होना चाहिए था जिससे कि प्रवेश की कमी से जूझ रहे राजकीय विद्यालय में भी छात्र नामांकन में अपेक्षित सुधार हो पाता ।

उन्होंने कहा कि इस मांग सहित शिक्षकों की वार्षिक गोपनीय आख्या के सरलीकरण तथा अंतर मंडलीय पारस्परिक स्थानांतरण, वार्षिक स्थानांतरण हेतु आवेदन पत्रों को जमा किए जाने की अंतिम तिथि बढ़ाए जाने आदि को लेकर सचिव शिक्षा एवं अपर सचिव शिक्षा, महानिदेशक विद्यालय शिक्षा एवं निदेशक प्रारंभिक शिक्षा को फिर से ज्ञापन सौपा गया है, जिस पर उचित कार्रवाई का भरोसा दिया गया है।

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