कर्मचारी संगठन
रोडवेज कर्मचारियों ने मर्चुला बस हादसे पर जताया शोक
दुर्घटनाओं को कम करने के लिए सरकार को दिए सुझाव
देहरादून। रोडवेज कर्मचारी संयुक्त परिषद ने कल मर्चुला बस दुर्घटना में 36 यात्रियों की मृत्यु पर शोक व्यक्त किया है। परिषद के अध्यक्ष दिनेश पंत ने सरकार को पत्र लिखकर दुर्घटनाओं को कम करने के लिए सुझाव दिए।
सुझाव
- उच्च न्यायालय नैनीताल द्वारा 04 अगस्त .2018 को आपने आदेश में परिवहन निगम में प्राइवेट आपरेटरो को मार्ग पर बस संचालन के समय बसों मे किसी भी दशा में ओवर लोडिग न किये जाने हेतु स्पष्ट रूप से निर्देशित किया गया था। परिवहन निगम के स्तर से इसका अनुपालन किया जा रहा है, जबकि प्राइवेट वाहन स्वामियों के द्वारा उक्त आदेश का अनुपालन नहीं किया जाता है।
- परिवहन निगम के स्तर से अपनी वाहनों को अधिकतम 08 वर्ष तथा 10 लाख किमी संचालन के पश्चात निष्प्रयोज्य घोषित कर नीलामी कर दी जाती है। किन्तु प्रावइट आपेरटरो द्वारा किमी की शर्ते पूरी न होने के कारण लम्बी समयाअवधि तक वाहनो का संचालन किया जाता है। परिवहन निगम की वाहनो में अनुभवी चालको को तैनात किया जाता है। जिस कारण परिवहन निगम की दुर्घटनाओ का स्तर न्यून है।
- जुलाई 2022 में निगम निदेशक बोर्ड से 130 नई बसों की खरीद का प्रस्ताव स्वीकृति हेतु शासन को प्रेषित किया गया था। ये बसें अत्यन्त ही बिलम्ब से अक्टूबर 2024 में निगम को प्राप्त होनी प्रारम्भ हुई है तथा वर्तमान तक भी पूर्ण नही हो पाई है। समय से उक्त बसें निगम को प्राप्त होने पर उनका पूर्णतह उपयोग किया जा सकता है। वर्तमान में फरवरी 2024 में निगम निदेशक मण्डल के द्वारा 175 नई बसों, जिसमे 100 बसे पर्वतीय मार्गो पर संचालित की जानी है, का प्रस्ताव शासन स्तर पर स्वीकृति हेतु लम्बित है। यदि उक्त वाहनो की स्वीकृति समय से निगम को प्राप्त हो जाती तो पर्वतीय मार्गो पर नई वाहनो से यात्रा सुगत तथा सुरक्षित हो सकती थी।
- उत्तराखण्ड शासन की अधिसूचना सख्या 265 दिनांक 06.04.2024 के अन्तर्गत कुमाउं/हल्द्वानी सम्भाग के 09 तथा देहरादून सम्भाग के 05 अधिसूचित मार्गो पर परिवहन निगम के भारी विरोध के पश्चात निजी वाहन स्वामियों को परमिट जारी किये जाने की कार्यवाही गतिमान है। जबकि शासन/सरकार के स्तर से प्रदेश के सार्वजनिक निगम उत्तराखण्ड परिवहन निगम को ओर भी अधिक सशक्त किये जाने की आवश्यकता है। निगम द्वारा संचालित उक्त अधिसूचित मार्गो पर किसी भी दशा में निजी वाहनों को परमिट प्रदान किया जाना औचित्यपूर्ण नहीं है। तत्काल उक्त शासनादेश पर रोक लगाते हुये सर्वप्रथम परिवहन निगम को परमिट दिया जायें।
- शासन/सरकार के स्तर से प्रदेश के सीमान्त जिलों, उत्तरकाशी, चमोली, रूद्रप्रयाग, चखुटिया इत्यादि स्थानो पर परिवहन निगम के नये बस अड्डो की स्थापना करते हुये निगम को बसें उपलब्ध कराई जाये ताकि प्रदेश के आम जन मानस को सुलभ, सुरक्षित, आरामदायक परिवहन सेवा उपलब्ध कराते हुये सरकार की कल्याणकारी योजनाओ का लाभ उक्त जिले के लोगों को भी प्राप्त हो सके।
- सरकार/शासन के स्तर से यदि निगम को बसें उपलब्ध नहीं कराई जाती है तो परिवहन निगम को स्वय के संसाधनो से प्रतिमाह 20 नई बसें खरीदने की अनुमति प्रदान की जाये। जिससे निगम उक्त बसों की खरीद कर पर्वतीय जिलों के यात्रियों को राहत प्रदान कर सके।