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SGRRU में नेत्र विशेषज्ञों ने रेटिना की बीमारियों और उपचार में बारे में बताया

आंखों के पर्दे संबधित बीमारियों पर CMI कार्यक्रम आयोजित

देहरादून। श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल व श्री गुरु राम राय इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एण्ड हैल्थ सांइसेज के नेत्र रोग विभाग द्वारा आज उत्तराखण्ड स्टेट ऑपथैलमोलॉजिकल सोसाइटी के तत्वाधान में ’दी रेटिना इन सस्टैमिक डीजीज’ पर एक दिवसीय निरंतर चिकित्सा शिक्षा ( कन्टिन्यूइंग मेडिकल एजुकेशन) कार्यक्रम का आयोजन किया गया।

श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल की नेत्र रोग विभाग की डॉ. प्रकृति पोखरियाल ने स्वागत अभिभाषण दे कर सभी प्रतिभागियों का स्वागत किया। उन्होने कहा कि इस सी.एम.ई. कार्यक्रम उद्देश्य आंखों के रेटिना( पर्दे) की बीमारियों को शुरूआती स्तर पर ही पहचानना व उसके मरीजो को सर्वश्रेष्ठ उपचार की विभिन्न विधियों पर मंथन व ज्ञानवर्धन करना हैै।

कार्यक्रम का शुभारंभ प्राचार्य, एसजीआरआरआईएण्डएचएस, डॉं0 अशोक नायक, कुल सचिव, शोध एवं विकास, श्री गुरु राम राय विश्वविद्यालय, डॉं0 पंकज मिश्रा, प्रेसिडेन्ट, यू0के0एस0ओ0एस0, डॉं0 विनोद अरोड़ा व विभागाध्यक्ष नेत्र रोग विभाग श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल व कार्यक्रम की आँग्रेनाईजिंग चेयरपर्सन डॉं0 तरन्नुम शकील के द्वारा संयुक्त रूप से दीप प्रज्जवलन कर किया गया।
डॉं0 अशोक नायक ने अपने सम्बोधन में कहा, इस तरह के सी0एम0ई0 कार्यक्रम ज्ञान के आदान प्रदान के लिए आदर्श मंच हैं। उन्होंने कहा कि एसजीआरआर आई एण्ड एचएस इस तरह के आयोजनों को समय-समय पर करवाता रहा है।

इसके उपंरात सी.एम.ई. कार्यक्रम की प्रथम वक्ता विभागाध्यक्ष, नेत्र रोग विभाग, हिमालयन इंस्टीट्यूट ऑफ मेंडिकल सांइसेंज व रेटिना विशेषज्ञा डॉ. रेनू धस्माना ने डायबीटिक रेटिनोपैथी व डायबीटिक किडनी डीजीज विषय पर व्याख्यान दिया। उन्होनें मधुमेह व गुर्दे के रोगियों मे होने वाली रेटिना की बिमारियों को सही समय पर पहचानने व उनके उचित उपचार की विधियों के बारे में ज्ञान साझा किया।
दृष्टि आई इंस्टीट्यूट के रेटिना विशेषज्ञ डॉ. सौरभ लूथरा ने ’एक्स फाईल्स ए मल्टीट्यूट ऑफ इंटरैस्टिंग केसस विद रेटिनल मेनीफेसटेशन्स’ विषय पर व्याख्यान देते हुए बतौर रेटिना सर्जन अपने सामने आए पर्दे के विभिन्न रोगों व उनकी उपचार विधियों को साझा किया।

एम्स, ऋषिकेश के रेटिना सर्जन डॉ. रामानुज सामंता ने ’टयूबटक्लोसिस व रेटिना’ विषय पर व्याख्यान देते हुए टी.बी. के मरीजों में होने वाली पर्दे की बीमारियों पर प्रकाश डालते हुए खाई जाने वाली दवाईयों के रेटिना पर दुष्प्रभावों के बारे मे जानकारी दी। उनका सही समय पर पता लगाना व उनके उपचार की विधियों पर ज्ञान साझा किया।

अमृतसर आई क्लीनिक के डॉ. अनुज शर्मा ने ’रेटिनल मैनीफैस्टेशनस ऑफ हाईपरटेंशन’ विषय पर प्रकाश डालते हुए उच्च रक्तचाप के मरीजों में इससे उपजने वाली पर्दे की बीमारियों के विषय में विस्तृत जानकारियां दी।

श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल के रेटिना विशेषज्ञ डॉ श्री राम जयराज ने साईड इफैक्ट ऑफ सिस्टमिक ड्रग्स ऑन रेटिना विषय पर बोलते हए किसी भी बीमारी के निदान हेतु खाई जाने वाली दवाईयों के दुष्प्रभावों के बारें में जानकारी दी।

इसके उपरांत एसजीआरआरआईएण्डएचएस, जी0एम0सी0 हल्द्वानी, हिमालयन इंस्टीट्यूट ऑफ मेंडिकल सांइसेंज व एम्स, ऋषिकेश के नेत्र रोग विभागों में ऑपथैमोलॉजी स्नाकोत्तर (पी.जी.) मे अध्ययनरत छात्र-छात्राओं के लिए प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। प्रश्नोत्तरी का संचालन श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल की डॉं0 वत्सला वत्स के द्वारा किया गया।

विभागाध्यक्ष, नेत्र रोग विभाग, एसजीआरआरआईएण्डएचएस व श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल, निदेेंशिका एसएमआई आई बैंक एवं कार्यक्रम की आँग्रेनाईजिंग चेयरपर्सन, डॉ. तरन्नुम शकील के द्वारा धन्यवाद प्रस्ताव दिया गया। उन्होंने श्री महंत इन्दिरेेश अस्पताल व एसजीआरआरआईएण्डएचएस के चेयरमैन श्रीमहंत देवेन्द्र दास जी महाराज के आर्शीवाद व प्रेरणा से इस प्रकार के कार्यक्रम करवाये जाते रहे हैं व भविष्य में भी करवाये जाएंगे। उन्होंने कहा कि इस तरह के निरन्तर चिकित्सा शिक्षा कार्यक्रम डॉक्टरों व पी0जी0 में अध्ययनरत छात्र-छात्राओं के ज्ञानवर्धन करने का अनूठा मंच है।

प्रश्नोत्तरी में एम्स, ऋषिकेश के डॉं0 पारितोष शुक्ला व डॉं0 कीर्ति ने प्रथम स्थान, हिमालयन इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साईंसेज की डॉं0 प्रियंका व डॉं0 अनमोल ने द्वितीय स्थान व तृतीय स्थान जी0एम0सी0, हल्द्वानी की डॉं0 पुनम व डॉं0 रचित ने प्राप्त किया। इन सभी को पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया।

कार्यक्रम में सौ से अधिक नेत्र रोग विशेषज्ञों व ऑपथैमोलॉजी स्नाकोत्तर (पी.जी.) में अध्ययनरत छात्र-छात्राओं ने प्रतिभाग किया।
कार्यक्रम को सफल बनाने में डॉं0 तारिख मसूद, डॉं0 संजीव मिŸाल, डॉं0 शान्ति पाण्डे, डॉं0 गौरव लूथरा, डॉं0 मुनिन्द्रा रावत, डॉं0 संगीता जैन, डॉ0 स्मिता मेहरा का भी विशेष सहयोग रहा ।

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