उत्तराखंड

अदम्य साहस और वीरता के लिए उत्तराखंड का लाल कीर्ति चक्र से सम्मानित

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने आज देश के वीर सपूतों को कीर्ति चक्र और शौर्य चक्र से सम्मानित किया

नई दिल्ली/देहरादून। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने आज नई दिल्ली में राष्ट्रपति भवन में देश के वीर सपूतों को कीर्ति चक्र और शौर्य चक्र से सम्मानित किया। उत्तराखंड के मेजर दिग्विज सिंह रावत, 21वीं बटालियन पैराशूट रेजिमेंट (स्पेशल फोर्सेज) को कीर्ति चक्र से सम्मानित किया गया।

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने राष्ट्रपति भवन के प्रांगण में आयोजित रक्षा अलंकरण समारोह (चरण-1) के दौरान सशस्त्र बलों, केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों और राज्य तथा केंद्र शासित प्रदेश के पुलिस कर्मियों को 10 कीर्ति चक्र (सात मरणोपरांत) और 26 शौर्य चक्र (सात मरणोपरांत) प्रदान किए। यह पुरस्कार इन कर्मियों को विशिष्ट वीरता, अदम्य साहस और कर्तव्य के प्रति असाधारण प्रदर्शन के लिए प्रदान किये गए हैं।

कीर्ति चक्र मेजर दिग्विजय सिंह रावत, 21वीं बटालियन पैराशूट रेजिमेंट (विशेष बल) को दिया गया। शौर्य चक्र मेजर मानेओ फ्रांसिस पीएफ 21वीं बटालियन, पैराशूट रेजिमेंट (विशेष बल) को दिया गया। शौर्य चक्र से लेफ्टिनेंट बिमल रंजन बेहरा, हवलदार संजय कुमार 9 असम राइफल्स, फ्लाइट लेफ्टिनेंट ऋषिकेश जयन करुयेदया फ्लाइंग (पायलट), कैप्टन अक्षत उपाध्याय 20वीं बटालियन द जाट रेजिमेंट, नायब सूबेदार बारिया संजय कुमार भमर सिंह 21वीं बटालियन द महार रेजिमेंट, मेजर अमनदीप जाखड़ 4वीं बटालियन द सिख रेजिमेंट को सम्मानित किया गया।

कॉन्स्टेबल सफीउल्लाह कादरी जम्मू-कश्मीर पुलिस, मेजर विकास भंगभू सेना पदक, मेजर मेजर मुस्तफा बोहरा, राइफलमैन कुलभूषण मंटा जम्मू-कश्मीर राइफल्स, 52वीं बटालियन राष्ट्रीय राइफल्स, हवलदार विवेक सिंह तोमर 5वीं बटालियन राजपुताना राइफल्स, राइफलमैन आलोक राव 18 असम राइफल्स, कैप्टन एमवी प्रांजल सिग्नल कोर, 63वीं बटालियन राष्ट्रीय राइफल्स को मरणोपरांत वीरता पुरस्कार दिए गए।

मेजर दिग्विजय सिंह रावत ने मणिपुर में उग्रवादियों का किया सफाया

उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल के डांग गांव के रहने वाले 21वीं बटालियन पैराशूट रेजिमेंट (विशेष बल) के कमांडो मेजर दिग्विजय सिंह रावत ने मणिपुर में उग्रवादियों का सफाया किया था। 5 जनवरी 2023 को गृह मंत्री अमित शाह मणिपुर में मेडिकल कॉलेज का लोकार्पण करने पहुंचे थे। एक ऑपरेशन के दौरान उनको सूचना मिली कि घाटी के विद्रोही समूह एक वीआईपी को मणिपुर में निशाना बनाने की योजना बना रहे हैं। इस सूचना के आधार पर मेजर रावत ने अपने एक सूत्र को सक्रिय किया, जिसने विद्रोही समूहों को भटका दिया। वह सूत्र सफलतापूर्वक विद्रोही समूह को उसी इलाके में ले गया, जहां मेजर दिग्विजय की टीम उनका इंतजार कर रही थी। आतंकवादियों ने सैनिकों को देखते ही ऑटोमेटिक हथियारों से अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी, लेकिन गोलियों की बौछार के बीच मेजर रावत ने अपनी टीम को कुशलता से नियंत्रित किया और खुद रेंगते हुए आतंकवादियों के एक कैप्टन को मार गिराया और दूसरे को घायल कर दिया। खुफिया जानकारी के अनुसार, ये दोनों ही असम राइफल्स पर घात लगाकर हमला करने के मास्टरमाइंड थे।

इसी तरह, 26 मार्च 2023 को भी एक अन्य ऑपरेशन के दौरान विद्रोही समूहों के घुसपैठ की सूचना मिली। उसमें भी मेजर दिग्विजय ने अपने शौर्य और पराक्रम को दिखाते हुए दुश्मनों को मुंहतोड़ जवाब दिया और घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया।

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