उत्तराखंड

शिक्षकों को संत्रात लाभ के दौरान मिलेंगी ये सुविधाएं

प्रेषक,

डा० वी० षणमुगम,

सचिव, उत्तराखण्ड शासन।

सेवामें,

निदेशक,

कोषागार, पेंशन एवं हकदारी. उत्तराखण्ड, देहरादून।

वित्त अनुभाग-10

देहरादून : दिनांक मार्च, 2025

विषयः प्रदेश के राजकीय माध्यमिक विद्यालयों/शासन द्वारा सहायता प्राप्त अशासकीय विद्यालयों/पूर्व माध्यमिक विद्यालयों/प्राथमिक विद्यालयों में कार्यरत शिक्षकों को अधिवर्षता प्राप्त करने उपरान्त शैक्षिक सत्र के अन्त तक प्रदत्त संत्रात लाभ के दौरान अनुमन्य सुविधाओं के सम्बन्ध में।

महोदय,

उपरोक्त विषयक अपने पत्र संख्या-2953/ पाँच (005) / शा०पत्रा०/ नि० को० पें०ह०/2024, दिनांक-21 अक्टूबर, 2024 एवं पत्र संख्या-144855/पाँच (005) / शा०पत्रा०/ नि०को०पें०ह०/2024, दिनांक 18 जनवरी, 2025 का सन्दर्भ ग्रहण करने का कष्ट करें, जिसके द्वारा राज्य के शिक्षकों को अधिवर्षता आयु पूर्ण होने के पश्चात् सामूहिक बीमा योजना से सम्बन्धित भुगतान किये जाने का अनुरोध किया गया है।

2-उल्लेखनीय है कि शासनादेश संख्या-128/xxvii (10)/2018/54/2012, दिनांक-25 अप्रैल, 2018 के प्रस्तर-03 में यह व्यवस्था वर्णित है कि ‘दिनांक 03.08.2017 के पश्चात् शिक्षकों को अधिवर्षता आयु पूर्ण करने के बाद प्रदत्त सत्रान्त लाभ की अवधि की गणना वेतन वृद्धि तथा सेवानिवृत्तिक लाभों हेतु नहीं की जायेगी। शिक्षकों को उनकी अधिवर्षता आयु प्राप्त करने की तिथि को ही सेवानिवृत्त माना जायेगा। सत्रान्त लाभ की अवधि में उन्हें अन्तिम आहरित वेतन माइन्स पेंशन के सिद्वान्त के आधार पर भुगतान किया जायेगा”।

3-इस सम्बन्ध में शासन स्तर पर सम्यक् निर्णयोपरांत शासनादेश संख्या-128/xxvii (10)/2018/54/2012, दिनांक 25 अप्रैल, 2018 के प्रस्तर-03 की छठी पंक्ति में आंशिक संशोधित करते हुए मुझे यह कहने का निदेश हुआ हैं कि राज्य के शिक्षकों को अधिवर्षता आयु पूर्ण होने के पश्चात एवं सत्रांत लाभ प्राप्त करने से पूर्व सामूहिक बीमा योजना का भुगतान आई०एफ०एम०एस० पोर्टल के माध्यम से किया जायेगा एवं इस हेतु अंतिम वेतन पत्र के स्थान पर सक्षम अधिकारी द्वारा इस आशय का प्रमाण पत्र निर्गत किया जायेगा।

4-तद्हेतु उक्त व्यवस्था को प्रतिपादित किये जाने हेतु आई०एफ०एम०एस० पोर्टल में यथाआवश्यक संशोधन किया जाना सुनिश्चित करें। वर्णित शासनादेश संख्या-128/Xxvii (10)/2018/54/2012, दिनांक-25 अप्रैल, 2018 को उक्त सीमा तक संशोधित समझा जाय तथा उक्त के शेष प्राविधान यथावत् रहेंगे।

भवदीय,

(डा० वी० षणमुगम)

सचिव।

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