उत्तराखंड

उत्तराखंड विधानसभा में समान नागरिक संहिता विधेयक पेश

मुख्यमंत्री धामी ने पेश किया विधेयक, सत्तापक्ष के विधायकों ने लगाए ‘भारत माता की जय, वंदेमातरम और जय श्रीराम’ के नारे

देहरादून। उत्तराखंड विधानसभा में मंगलवार को समान नागरिक संहिता (यूसीसी) विधेयक पेश किया गया। कानून बनने के बाद उत्तराखंड आज़ादी के बाद यूसीसी लागू करने वाला देश का पहला राज्य हो जाएगा

यूसीसी विधेयक के लिए बुलाये गये विधानसभा के विशेष सत्र के दूसरे दिन मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने यह विधेयक पेश किया। मुख्यमंत्री द्वारा विधेयक पेश किये जाने के सत्तापक्ष के विधायकों ने ‘‘भारत माता की जय, वंदेमातरम और जय श्रीराम’’ के नारे लगाये।
विधेयक पेश करने के बाद सीएम धामी ने सोशल मीडिया साइट एक्स पर एक वीडियो भी पोस्ट किया. उन्होंने लिखा- विधानसभा में ऐतिहासिकUCC संहिता विधेयक पेश किया। अब दो बजे सदन की कर्यवाही दोबारा शुरू होगी और यूसीसी पर सदन में चर्चा शुरू होगी। विशेषज्ञ समिति के सदस्य मनु गौड़ को भी सदन में बुलाया गया है, ताकि सदन को कानून की तकनीकियां-बारिकियां समझने में मदद मिल सके।

चार खंडों में 740 पृष्ठों के इस मसौदे को सुप्रीम कोर्ट की सेवानिवृत्त जज जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय समिति ने शुक्रवार को मुख्यमंत्री को सौंपा था। प्रदेश मंत्रिमंडल ने रविवार को यूसीसी मसौदे को स्वीकार करते हुए उसे विधेयक के रूप में सदन के पटल पर रखे जाने की मंजूरी दी थी। समान नागरिक संहिता पर ड्राफ़्ट में क़रीब 2 लाख 33 हज़ार लोगों ने अपने विचार दिए हैंण् इसे तैयार करने वाली कमेटी ने कुल 72 बैठकें की थीं। ख़बरों के मुताबिकए ड्राफ़्ट में 400 से ज़्यादा धाराएं हैं।

उधर, विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने कहा कि सरकार की मंशा पर संदेह है. बिल की कॉपी आधी अधूरी मिली है। अब दो बजे इस पर चर्चा भी होनी है। ऐसे में इतनी देर में क्या चर्चा करेंगे और क्या पढ़ेंगे।

यूसीसी के तहत सभी धर्मों में लड़कियों की शादी की न्यूनतम उम्र 18 साल होगी।
पुरुष-महिला को तलाक देने के समान अधिकार मिलेगा।
लिव इन रिलेशनशिप डिक्लेयर करना जरूरी है।
लिव इन रजिस्ट्रेशन नहीं कराने पर 6 माह की सजा होगी।
लिव-इन में पैदा बच्चों को संपत्ति में समान अधिकार है।
महिला के दोबारा विवाह में कोई शर्त नहीं है।
अनुसूचित जनजाति दायरे से बाहर हैं।
बहु विवाह पर रोक, पति या पत्नी के जीवित रहते दूसरी शादी नहीं हो सकती है।
शादी का रजिस्ट्रेशन जरूरी बिना रजिस्ट्रेशन सुविधा नहीं है।
उत्तराधिकार में लड़कियों को बराबर का हक मिलेगा।

यूसीसी लागू तो क्या होगा?
हर धर्म में शादी, तलाक के लिए एक ही कानून होंगे।
जो कानून हिंदुओं के लिए, वही दूसरों के लिए भी हैं।
बिना तलाक एक से ज्यादा शादी नहीं कर पाएंगे।
मुसलमानों को 4 शादी करने की छूट नहीं रहेगी।

यूसीसी से क्या नहीं बदलेगा?
धार्मिक मान्यताओं पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा।
धार्मिक रीति-रिवाज पर असर नहीं है।
ऐसा नहीं है कि शादी पंडित या मौलवी नहीं कराएंगे।
खान-पान, पूजा-इबादत, वेश-भूषा पर प्रभाव नहीं है।

 

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button