देहरादून। कांग्रेस विधान मंडल दल के सदस्यों ने आज सायं 6.30 बजे नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य के नेतृत्व में राजभवन में राज्यपाल ले.ज. (से.नि.) गुरमित सिंह से भेंट कर उन्हें एक ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में कहा गया है कि सरकार द्वारा संवैधानिक मूल्यों की लगातार उपेक्षा की जा रही है। सत्रावसान किये बिना ही विशेष सत्र के नाम पर प्रश्नकाल, अविलम्बनीय लोक महत्व की सूचनाओं को स्थगित किया जा रहा है। ज्ञापन में राज्यपाल से संवैधानिक मूल्यों की रक्षा हेतु सरकार को निर्देशित करने की मांग की गई।
ज्ञापन में कहा गया है कि उत्तराखण्ड विधान सभा का वर्ष 2023 का द्वितीय सत्र जो 08 सितम्बर, 2023 के उपवेशन की समाप्ति पर अनिश्चित काल के लिये स्थगित हो गया था, को सोमवार दिनांक 05 फरवरी, 2024 से आहूत किया गया था। विधान सभा सचिवालय की अधिसूचना(संलग्नक-1) से ही स्पष्ठ है कि इस सत्र को विशेष सत्र नहीं माना जा सकता क्योंकि सत्रावसान हुआ ही नहीं है।
इसके अतिरिक्त सचिव, विधान सभा के आदेश से विधान सभा सचिवालय के पत्र संख्या 213 दिनांक 25 जनवरी, 2024(संलग्नक-2) के माध्यम से भी एक पत्र सभी माननीय सदस्यगणों को जारी किया गया है जिसमें अविलम्बनीय लोक महत्व की सूचनाओं यथा नियम 53, 58, 299 एवं नियम 300 की सूचना को प्रत्येक उपवेशन को प्रातः 08ः30 बजे से 09ः30 बजे, दिनांक 06 फरवरी, 2024 तक विधान भवन में लिये जाने हेतु कहा गया है।
उपरोक्त सारे तथ्यों के होते हुए भी कार्यमंत्रणा समिति की बैठक में यू.सी.सी. हेतु विशेष सत्र का हवाला देते हुए प्रश्नकाल एवं अविलम्बनीय लोक हित सूचनाओं को स्थगित करना कार्यसंचालन नियमावली का उल्लंघन है। इस तरह के अवैधानिक कार्य को कार्यमंत्रणा समिति में बहुमत के आधार पर पास किया जाना कदाचित उचित नहीं है।
सरकार द्वारा संवैधानिक मूल्यों की लगातार उपेक्षा की जा रही है। सत्रावसान किये बिना ही विशेष सत्र के नाम पर प्रश्नकाल, अविलम्बनीय लोक महत्व की सूचनाओं को स्थगित किया जा रहा है।
अतः हम सभी आपसे निवेदन करते है कि कृृपया संवैधानिक मूल्यों की रक्षा हेतु सरकार को निर्देशित करने की कृृपा करें।
राज्यपाल से मुलाकात करने वालों में नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य, प्रीतम सिंह, भुवन कापड़ी, राजेन्द्र सिंह भण्डारी, ममता राकेश, फुरकान अहमद, तिलक राज बेहड़, मयूख महर, मदन बिष्ट, मनोज तिवारी, विक्रम सिंह नेगी, आदेश सिहं चैहान, गोपाल सिंह राणा, खुशाल सिंह अधिकारी, सुमित हृदयेश, अनुपमा रावत, रवि बहादुर और विरेन्द्र जाति शामिल थे।