स्वास्थ्य

श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल में कोलोप्रोक्टोलाॅजी स्टडीज पर दो दिवसीय कार्यक्रम में जुटे विशेषज्ञ

शुक्रवार को साइंटिफिक सैशन हुआ, शनिवार को लाइव आपरेशन होंगे

  • लेज़र तकनीक और स्टैपलर तकनीक के मेडिकल पक्ष को समझाया
  • गुदा एवम् मलद्वार में होने वाली बीमारियों की अत्याधुनिक लेजर सर्जरी एवम् कारगर तकनीकों को समझाया

देहरादून। श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल श्री गुरु राम राय इंस्टीट्यूट आफ मेडिकल एण्ड हैल्थ साइंसेज़ के सर्जरी विभाग की ओर से दो दिवसीय साइंटिफिक सैशन एवम् लाइव आपरेशन सैशन का आयोजन किया गया। सैशन में देश के विभिन्न राज्यों से आए सर्जन एवम् मेडिकल प्रैटिक्शनर्स एवम् मेडिकल छात्र-छात्राओं ने प्रतिभाग किया। दो दिवसीय कार्यक्रम के पहले दिन शुक्रवार को साइंटिफिक सैशन आयोजित हुआ दूसरे दिन शनिवार को लाइव आपरेशन सैशन होगा।

साइंटिफिक सैशन में लेजर तकनीक औश्र स्टैपलर तकनीक के मेडिकल पक्ष को समझाया। विशेषज्ञों ने गुदा एवम् मलद्वार में होने वाली बीमारियों कीे अत्याधुनिक लेजर सर्जरी एवम् कारगर तकनीकों की भी विस्तारपूर्वक जानकारी दी।

शुक्रवार को श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल एवम् श्री गुरु राम राय इंस्टीट्यूट आफ मेडिकल एण्ड हैल्थ साइंसेज के सभागार में फैलोशिप इन इंटरनेशनल सोसाइटी आफ काॅलोप्रोक्टोलाॅजी शीर्षक पर आयोजित कार्यक्रम शुभारंभ हुआ। मुख्य अतिथि डाॅ अशोक नायक, प्राचार्य श्री गुरु राम राय इंस्टीट्यूट आफ मेडिकल एण्ड हैल्थ साइंसेज एवम् डाॅ मनोज गुप्ता निदेशक श्री गुरु राम राय इंस्टीट्यूट आफ मेडिकल एण्ड हैल्थ साइंसेज, डाॅ अनिल मलिक मुख्य चिकित्सा अधीक्षक, श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल ने दीप प्रज्जवलित कर किया। मुख्य अतिथि डाॅ अशोक नायक ने कहा कि गुदा एवम् मलद्वार की बीमारियों के उपचार एवम् मेडिकल जानकारी पर आधारित यह दो दिवसीय विशेष कार्यक्रम है।

श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल के वरिष्ठ सर्जन डॉ. जे.पी. शर्मा ने रेक्टम एवं एनल कैनाल से जुड़ी बीमारियों के आधुनिक उपचार और शल्य चिकित्सा (सर्जरी) की नवीन तकनीकों पर विस्तृत जानकारी साझा की। उन्होंने बताया कि इन रोगों का संबंध पाचन तंत्र के अंतिम हिस्से यानी बड़ी आंत के अंतिम भाग, मलाशय और गुदा नली से होता है, जिनकी पहचान और उपचार के लिए आजकल कोलोप्रोक्टोलॉजी विषय में तेजी से शोध और अध्ययन किया जा रहा है।

डॉ. शर्मा ने कहा कि कोलोप्रोक्टोलॉजी स्टडीज आधुनिक चिकित्साशास्त्र की वह शाखा है जो इन अंगों से संबंधित रोगों जैसे फिस्टुला, फिशर, हैमोरॉयड्स और प्रोलैप्स के वैज्ञानिक निदान और उपचार पर केंद्रित है। उन्होंने बताया कि अत्याधुनिक तकनीकों जैसे लेजर सर्जरी, डॉपलर गाइडेड हैमोरॉयडल आर्टरी लिगेशन और मिनिमली इनवेसिव प्रोसीजर्स के माध्यम से अब इन बीमारियों का उपचार अधिक सुरक्षित, दर्द रहित और त्वरित हो गया है।

कार्यक्रम के दौरान उन्होंने कोलोप्रोक्टोलॉजी के क्षेत्र में बढ़ते शोध, नई सर्जिकल तकनीकों तथा मरीजों में जागरूकता की आवश्यकता पर भी बल दिया। उन्होंने कहा कि सही निदान, समय पर इलाज और जीवनशैली में सुधार से इन रोगों से आसानी से बचाव संभव है।

कार्यक्रम आयोजन सचिव डाॅ प्रदीप सिंघल ने धन्यवाद ज्ञापित किया। इस अवसर पर डाॅ एलडी लाडुलकर, डाॅ प्रशांत रहाटे, डाॅ दिनेश शाह, डाॅ शांति वर्धन, डाॅ नीरज गोयल, डाॅ राजेश कुमार, डाॅ आलोक कुमार माथुर, डाॅ आर के वर्मा, डाॅ अजय वर्मा सहित कई विशेषज्ञ सर्जन एवम् सैकड़ों मेडिकल छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।

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