उत्तराखंड

देहरादूनः केन्द्रीय अकादमी राज्य वन सेवा के दीक्षान्त समारोह में 69 अधिकारी पासआउट

उत्तराखण्ड सुश्री विभू को पीके सेन संरक्षण पुरस्कार

देहरादून। केन्द्रीय अकादमी राज्य वन सेवा, देहरादून द्वारा आज 36वें (2022-24) राज्य वन सेवा प्रवेश पाठ्यक्रम पूर्ण करने वाले राज्य वन सेवा अधिकारी प्रशिक्षणार्थियों का दीक्षान्त समारोह वन अनुसंधान संस्थान के दीक्षान्त सभागार में आयोजित किया गया है। इस बैच में विभिन्न राज्यों द्वारा प्रायोजित 69 अधिकारी प्रशिक्षणार्थी थे, जिनमें महाराष्ट्र-24, उड़ीसा- 23, बिहार-7, त्रिपुरा-6, हिमाचल प्रदेश-5, उत्तराखण्ड-3 और उत्तरप्रदेश-1 राज्य से हैं। इस बैच में कुल 18 महिला अधिकारी प्रशिक्षणार्थियों ने प्रशिक्षण प्राप्त किया ।

यह समारोह भा०व० से० (सेवानिवृत्त) सिद्धान्त दास, अध्यक्ष केन्द्रीय अधिकार प्राप्त समिति (CEC) मुख्य अतिथि की उपस्थिति में सम्पन्न हुआ। डॉ० जगमोहन शर्मा, भा०व०से०, निदेशक, इन्दिरा गाँधी राष्ट्रीय वन अकादमी, कंचन देवी, भा०व० से०, महानिदेशक, भारतीय वानिकी अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद (ICFRE), देहरादून, डॉ रेनू सिंह, भा०व०से०, निदेशक, वन अनुसंधान संस्थान, देहरादून, मीनाक्षी जोशी, भा०व०से०, कार्यवाहक निदेशक, वन शिक्षा निदेशालय, देहरादून एवं प्रधानाचार्या, केन्द्रीय अकादमी राज्य वन सेवा, देहरादून एवं सभी संकाय सदस्य, केन्द्रीय अकादमी राज्य वन सेवा, देहरादून एवं अन्य सेवारत एवं सेवानिवृत्त अधिकारी दीक्षांत समारोह में शामिल हुए।

केंद्रीय अकादमी राज्य वन सेवा, देहरादून की प्रधानाचार्या मीनाक्षी जोशी ने अपने सम्बोधन में कहा कि 36वें राज्य वन सेवा के अधिकारियों का प्रशिक्षण कार्यक्रम 02 वर्षों के दौरान 20 महीने सैद्धांतिक और अन्य विशिष्टताओं का प्रशिक्षण तथा क्षेत्र अनुभव के लिए 4 महीने का सेवा प्रशिक्षण प्रदान किया गया।

डॉ० जगमोहन शर्मा, भा०व०से०, निदेशक, इन्दिरा गाँधी राष्ट्रीय वन अकादमी ने भी अपने विचार व्यक्त किये, उन्होनें वन विभाग में महिलाओं की बढती भागीदारी पर खुशी व्यक्त की, साथ ही उनकी कार्यकुशलता पर संतोष व्यक्त किया। आपने देश की वर्तमान राजनैतिक, भौगोलिक, आर्थिक, पर्यावरणीय स्थिति पर प्रकाश डालते हुए देश में अमृतकाल में लिये गये पर्यावरणीय फैसलो जैसेः- एक पेड़ माँ के नाम, ग्रीन क्रेडिट कार्ड प्रोग्राम आदि का जिक्र किया साथ ही बढती जनसंख्या और प्राकृतिक संसाधनों के सत्त उपयोग पर अपने विचार व्यक्त किये।

इस अवसर पर समारोह के मुख्य अतिथि भा०व०से० (सेवानिवृत्त) सिद्धान्त दास, अध्यक्ष केन्द्रीय अधिकार प्राप्त समिति (CEC) ने अपने सम्बोधन में कहा कि वर्तमान में विश्व की सबसे बडी समस्यां है जलवायु परितर्वन व विश्व उष्णन। ऐसे में वन अधिकारियों की जिम्मेदारी और भी बढ जाती है साथ ही उन्होनें एक अधिकारी के तौर पर EQ (भावनात्मक गुणक), IQ (बुद्धि गुणक), SQ (सामाजिक गुणक) AQ (प्रतिकूलता गुणक) और आध्यात्मिक चेतना की महत्वता को बताया और साहिर लुधयानवी के गीत-मैं जिन्दगी का साथ निभाता चला गया से संदेश दिया की जीवन में असफलताओं का भी जश्न मनाना आना चाहिए क्योंकि वही सफलता की सीढी है।

दीक्षांत समारोह के दौरान भा०व०से० (सेवानिवृत्त) सिद्धान्त दास, अध्यक्ष, केन्द्रीय अधिकार प्राप्त समिति (CEC) ने अकादमी द्वारा प्रकाशित 4 पुस्तको जिसमें Safarnama, Darmiyaan,, Insecta एवं Learning from the Field का विमोचन किया गया।

इस अवसर पर भा०व०से० (सेवानिवृत्त) सिद्धान्त दास, अध्यक्ष केन्द्रीय अधिकार प्राप्त समिति (CEC) के द्वारा सभी उत्तीर्ण वाले 69 अधिकारी प्रशिक्षणार्थियों को डिप्लोमा प्रमाण-पत्र तथा विशेष योग्यता प्राप्त करने वाले प्रशिक्षणर्थियों को विशेष पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया।

इन्हें मिला पुरस्कार
पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिर्वतन मंत्रालय का स्वर्ण पदक – डॉ० सत्यजीत कर (उड़ीसा)
पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिर्वतन मंत्रालय उत्कृष्ट ऑलराउंडर अधिकारी प्रशिक्षणार्थी एवं अतिव्यावहारिक वन विद् रजत पदक- डॉ० सत्यजीत कर (उड़ीसा)
पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिर्वतन मंत्रालय का वन प्रबन्धन एवं कार्य योजना में कार्यकुशलता के लिए रजत पदक- – डॉ० सत्यजीत कर (उड़ीसा)
पारिस्थितिकी में कार्यकुशलता के लिए रजत पदक – विवेक उद्धवराव शिंदे (महाराष्ट्र)
मृदा संरक्षण एवं भू-प्रबन्धन में कार्यकुशलता के लिए आर.सी. कौशिक पुरस्कार- अर्पणा शिवरतन पाटिल(महाराष्ट्र)
इंजीनियर एवं सर्वेक्षण में कार्य कुशलता के लिए केन्द्रीय अकादमी राज्य वन सेवा संगठन पुरस्कार -मयूर जयसिंह शेलके (महाराष्ट्र)
वन सुरक्षा तथा जन जातिय कल्याण के लिए पी. श्रीनिवास पुरस्कार – ओंकार दास(उड़ीसा)
पी. के. सेन संरक्षण पुरस्कार – सुश्री विभू (उत्तराखण्ड)

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