जोशीमठ में हर्षोल्लास के साथ मनाया गया जनजातीय गौरव दिवस

ज्योतिर्मठ। राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय जोशीमठ में भगवान बिरसा मुंडा के जन्मदिन को समर्पित जनजातीय गौरव दिवस धूमधाम से बनाया गया। वक्ताओं और अतिथियों द्वारा भारतीय स्वाधीनता संग्राम के इतिहास और सामाजिक, राजनैतिक और लोकतांत्रिक संघर्षों की यात्रा में पूरे देश की आदिवासी जनजातियों के योगदान को रेखांकित किया गया।
महाविद्यालय के जे. पी. हॉल में आयोजित समारोह में सबसे पहले अतिथियों द्वारा माता सरस्वती, भगवान बिरसा मुंडा सहित चिपको नेत्री गौरा देवी, कॉमरेड गोविंद सिंह रावत और केदारसिंह फोनिया जैसे महनीय जनजाति नेताओं के चित्रों पर दीप प्रज्वलित कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की।
कार्यक्रम के संयोजक डॉ. नंदन सिंह रावत कहा कि भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती हम सबके लिए भारतीय समाज व्यवस्था और लोकतांत्रिक संघर्षों में आदिवासी/जनजातीय समाज और नायकों के योगदान के स्मरण का समय है। बतौर मुख्य अतिथि ज्योतिर्मठ के पूर्व प्रमुख और पूर्व राज्य मंत्री ठाकुर सिंह राणा ने कहा कि भगवान बिरसा मुंडा सहित देशभर की जनजातियों का स्वाधीनता संग्राम में अभूतपूर्व योगदान है। उन्होंने नीति और माणा घाटी की भोटिया जनजाति के सामाजिक और सांस्कृतिक योगदान और प्रमुख जनजाति नेताओं के जीवन और विरासत पर भी प्रकाश डाला।
अति विशिष्ट अतिथि ब्लॉक प्रमुख ज्योतिर्मठ अनूप सिंह नेगी ने कहा कि भारतीय ज्ञान परंपरा में भारत की आदिवासी जनजातियों का अपूर्व योगदान है जिसे युवाओं के सम्मुख लाया जाना चाहिए। विशिष्ट अतिथि और सामाजिक कार्यकर्ता अतुल सती ने जनजातियों के संघर्ष की परंपरा पर विचार रखे। सामाजिक कार्यकर्ता पुष्कर सिंह राणा ने अपने व्याख्यान में नीती माणा घाटी के जनजातीय नायकों को याद किया। विशिष्ट अतिथि सामाजिक कार्यकर्ता नंदी राणा ने चिपको आंदोलन और गौरा देवी की महान विरासत को याद करते हुए कहा कि जनजातियां सदैव सामाजिक-सांस्कृतिक और पर्यावरणीय आंदोलनों में मुखर रही हैं।
इस अवसर पर आयोजित विशेष व्याख्यान में साहित्यकार डॉ. चरणसिंह केदारखंडी, समाज विज्ञानी डॉ. राजेन्द्र सिंह और इतिहासकार डॉ. रणजीत सिंह मर्तोलिया ने कहा कि जनजातीय समाज जल, जंगल और ज़मीन से सबसे निकटता से जुड़ा होता है और बिरसा मुंडा के छोटा नागपुर के पठार सहित गुजरात से लेकर नागालैंड और कश्मीर- हिमाचल से लेकर बिहार, झारखंड और दक्षिण भारत की सभी जनजातियों का सबसे बड़ा संदेश यही है कि मनुष्य का प्रकृति से सही रिश्ता क्या होना चाहिए।
इस अवसर पर गौरा देवी के पौत्र सोहन सिंह, सामाजिक कार्यकर्ता मुकेश साह, पार्षद ललिता देवी, पी.टी.ए. अध्यक्ष कलम सिंह राणा, पैनखंडा जनजाति उत्थान समिति के धर्मेंद्र पँवार और उप कोषाधिकारी राजेश कुमार और पूर्णिमा ने भी अपने विचार रखे।
जनजातीय गौरव की थीम पर युवाओं ने रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किये। अध्यक्षीय भाषण देते हुए महाविद्यालय की प्राचार्य और ‘धरती आबा’ के नाम से विख्यात बिरसा मुंडा की धरती की बेटी प्रोफेसर प्रीति कुमारी ने कहा कि बिरसा मुंडा सहित भारत की जनजातियों का इतिहास और उनकी विरासत का पुनर्पाठ किया जाना चाहिए, तभी नए भारत का निर्माण हो सकेगा।
कार्यक्रम के एक विशेष आयोजन के रूप में गौरा देवी पर्यावरण एवं विकास समिति रैणी की ओर से चिपको नेत्री की स्मृति में “गौरा वाटिका” का शुभारंभ किया गया जिसके अंतर्गत फलदार वृक्षों की वाटिका तैयार की जाएगी।
डॉ. नवीन पंत के संचालन में इस कार्यक्रम में राष्ट्रीय सेवा योजना के डॉ. धीरेंद्र सिंह सहित महाविद्यालय के समस्त कर्मचारी , शिक्षकगण और छात्र संघ के अध्यक्ष दिव्याशु, सचिव सृष्टि सहित सभी पदाधिकारी उपस्थित रहे। इस अवसर पर उत्तराखंड ओपन यूनिवर्सिटी की ओर से प्रतिभागियों को मुफ्त साहित्य वितरण कार्यक्रम का आयोजन भी किया गया जिसे डॉ. किशोरी लाल और डॉ. उपेंद्र राणा ने संपादित किया ।



