देहरादून। उत्तराखण्ड राजकीय औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान कर्मचारी संघ के प्रान्तीय महामंत्री पंकज सनवाल ने प्रशिक्षण एवं सेवायोजन विभाग के अन्तर्गत प्रशिक्षण प्रखण्ड में किए गए स्थानान्तरणों में विभागीय अधिकारियों द्वारा भारी अनियमितता बरते जाने का आरोप लगाया है। आज प्रेस जारी विज्ञप्ति में उन्होंने तत्काल समस्त स्थान्तरणों को निरस्त करते हुए पुनः नई स्थानान्तरण सूची जारी करने तथा उक्त प्रक्रिया की तत्काल जांच कराते हुए दोषी अधिकारियों के विरुद्ध कठोर कार्यवाही किए जाने की मांग की गई है ।
सनवाल ने कहा कि उक्त स्थानान्तरणों में स्थानान्तरण एक्ट का पूर्ण रुप से दुरुपयोग करते हुए मनमाने ढंग से स्थानान्तरण किए गए हैं। स्थानान्तरण एक्ट की धारा 10(ख) उल्लंघन करते हुए विभाग द्वारा दुर्गम में तैनात किन्तु सुगम में विगत दो वर्ष से अधिक समय से सम्बद्ध कार्मिकों की सेवा दुर्गम में ही मानते हुए पात्रता सूची में प्राथमिकता दे दी गई । एक प्रकरण में तो प्रधानाचार्य़ द्वारा विभाग को सूचित करने के उपरांत भी विभाग द्वारा इसकी अनदेखी की गई, और पात्रता सूची में कोई सुधार नहीं किया गया । कई ऐसे अनुदेशक भी पात्रता सूची में सम्मिलित नहीं किए गए जिनके द्वारा अधिकतम सेवा दुर्गम में ही की गई थी ।
उन्होंने कहा कि 30 जून 2022 को अन्तिम बार विभाग द्वारा अनिवार्य स्थानान्तरण हेतु पात्र कार्मिकों की सूची वेबसाइट पर प्रकाशित करते हुए 4 जुलाई 2022 तक पुनः विकल्प आमंत्रित किए गए, किन्तु विभाग द्वारा कार्मिकों द्वारा भरे गए विकल्पों को वेबसाइट पर प्रकाशित ही नहीं किया गया, जो कि स्थानान्तरण एक्ट की धारा 23(7) का स्पष्ट उल्लंघन है, जिससे स्थान्तरणों की पारदर्शिता पूर्णतः संदेहास्पद है ।
स्थानान्तरण एक्ट की धारा 3(ज) में स्पष्ट किया गया है, कि 55 वर्ष से अधिक आयु के वरिष्ठ कार्मिकों को अनिवार्य स्थानान्तरण से मुक्त रखा जाएगा किन्तु स्थानान्तरण सूची में वरिष्ठ कार्मिक को भी अनिवार्य रुप से स्थानान्तिरत कर दिया गया है, जबकि उक्त कार्मिक द्वारा दिए गए प्रत्यावेदन को प्रधानाचार्य़ द्वारा विभाग को भेजा भी गया था ।
उन्होंने कहा कि अनुदेशकों के कुल 31 स्थानान्तरण हुए जिनमें से 11 स्थानान्तरण अनुरोध के आधार पर, 8 स्थानान्तरण पारस्परिक जबकि मात्र 12 स्थानान्तरण ही सुगम दुर्गम के आधार पर किये गए हैं, जबकि वर्षो से दुर्गम में सेवारत कार्मिक पारदर्शी स्थानान्तरण की राह देख रहे थे । इसी तरह कार्यदेशकों के कुल 10 स्थानान्तरणों में से 6 अनुरोध के आधार पर जबकि मात्र 4 सुगम दुर्गम के आधार पर हुए । प्रधानाचार्यों के कुल 3 स्थानान्तरणों में से 2 अनुरोध के आधार पर जबकि मात्र 1 दुर्गम से सुगम किया गया । मिनिस्ट्रीयल संवर्ग में कुल 8 स्थानान्तरणों में 6 अनुरोध के आधार पर जबकि मात्र 2 सुगम दुर्गम के आधार पर किये गए हैं ।
सनवाल ने कहा कि विभाग द्वारा पारदर्शी स्थानान्तरण एक्ट का सबसे बड़ा उल्लंघन अनुरोध के आधार पर किए गए स्थानान्तरणों में किया गया, जिसमें अनुदेशक, कार्यदेशक, प्रधानाचार्य से लेकर मिनिस्ट्रीयल संवर्ग तक ऐसे ऐसे कार्मिकों के अनुरोध के आधार पर स्थानान्तरण किए गए हैं, जो अनुरोध के आधार पर स्थानांतरण हेतु पात्रता ही नहीं रखते थे । यहाँ तक की दुर्गम में मूलतैनाती होने के उपरांत भी कई कार्मिक/अधिकारी सुगम में ही संबद्ध थे और विगत दिनों विभागीय मंत्री द्वारा संबद्धता समाप्त किए जाने के उपरांत उन्हें अनुरोध के आधार पर पुनः सुगम में ही स्थानान्तरित कर दिया गया है ।
सनवाल ने कहा कि कई व्यवसायों के अनुदेशक स्थानान्तरण की राह ही तकते रह गए किन्तु उनके व्यवसाय के एक भी अनुदेशक का न तो सुगम से दुर्गम स्थानान्तरण किया गया और न ही दुर्गम से सुगम में ही स्थानान्तरण किए गए, जबकि अनुरोध के आधार पर स्थानान्तरणों के लिए विभाग द्वारा समस्त दरवाजे खोल दिए गए ।
सनवाल ने तत्काल समस्त स्थानान्तरण निरस्त न किए जाने की दशा में शीघ्र मुख्य सचिव से लेकर विभागीय सचिवतथा विभागीय मंत्री से भी मुलाकात कर विभागीय अधिकारियों द्वारा स्थानान्तरण एक्ट का उल्लंघन किए जाने की शिकायत किए जाने की बात कही है । सनवाल द्वारा सपष्ट किया गया कि एक्ट के उल्लंघन को किसी भी दशा में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा ।
Breaking News: तबादलों पर घमासान शुरू, कर्मचारियों ने लगाया एक्ट के दुरुपयोग का आरोप, सभी ट्रांसफर निरस्त कर दोषियों पर कार्रवाई की मांग
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