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उत्तराखंड में भारी बारिश का अलर्ट, मुख्यमंत्री ने की आपदा से निपटने की तैयारी की समीक्षा, जिलाधिकारियों को सतर्क रहने के निर्देश

देहरादून। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रदेश में मौसम विभाग की भारी वर्षा की चेतावनी के दृष्टिगत सभी मण्डलायुक्तों एवं जिलाधिकारियों को आपदा से संबंधित किसी भी चुनौती से निपटने के लिए हर समय तैयार रहने के निर्देश दिये हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि आपदा प्रबंधन की दृष्टि से हर स्तर पर सतर्कता बरती जाए। उन्होंने सभी विभागों को आपसी समन्वय से कार्य करने के निर्देश दिए।

संवेदनशील स्थलों पर तैनात रखी जाए जेसीबी
मुख्यमंत्री ने कहा कि आपदा की दृष्टि से संवेदनशील स्थानों हर समय जेसीबी तैनात रखी जाए। संवेदनशील स्थलों पर जेसीबी की पर्याप्त मात्रा में उपलब्धता सुनिश्चित होनी चाहिए। ताकि बंद रास्तों को तुरंत खोला जा सके।

एसडीआरएफ की टीमें तैनात
मुख्यमंत्री ने कहा कि एसडीआरएफ और एनडीआरएफ की टीमें तैनात की गई हैं। किसी भी आपदा की स्थिति में कम से कम रेस्पोंस टाइम में बचाव व राहत कार्य संचालित हों। बारिश या भूस्खलन से सड़क, बिजली, पानी की आपूर्ति बाधित होने की स्थिति में कम से कम समय में आपूर्ति सुचारू की जाय।

मुख्यमंत्री की लोगों से अपील, नदियों के करीब न जाएं
मुख्यमंत्री ने पर्यटकों और जनसामान्य से भी अपील की है कि भारी बारिश की सम्भावना को देखते हुए नदियों एवं बरसाती नालों की तरफ न जाए।

अगस्त तक का खाद्यान्न गोदामों में स्टाक
वर्षाकाल में अत्यधिक वर्षा की सम्भावना के दृष्टिगत राज्य में पर्वतीय जनपदों में 69 खाद्यान्न गोदाम चिन्हित हैं। ये गोदाम उन क्षेत्रों में हैं जहां सड़कें बन्द होने की ज्यादा सम्भावना रहती हैं। इन 69 खाद्यान्न गोदामों में वर्षाकाल के तीन महीनों (जून जुलाई, अगस्त) के लिए पर्याप्त मात्रा में खाद्यान्न स्टाक किया जा चुका है।

396 जेसीबी और पोकलैण्ड तैनात
लोक निर्माण विभाग ने मानसून में मार्गों के बंद होने की स्थिति में मार्गों को खोलने के लिए अलग-अलग स्थानों पर 396 मशीनों (जे.सी.बी., पोकलेन, रोबोट आदि) की तैनाती की है।

नदियों के जलस्तर की लगातार माॅनिटरिंग
सिंचाई विभाग ने हर जिले में बाढ़ नियंत्रण कक्ष तथा देहरादून में केन्द्रीय बाढ़ नियंत्रण केन्द्र की स्थापना की है। सिंचाई विभाग द्वारा 23 स्थानों पर नदियों तथा 14 स्थानों पर बैराज/डैम पर जलस्तर तथा डिस्चार्ज की निगरानी की जा रही है। सिंचाई विभाग द्वारा प्रदेशभर में 113 राजस्व बाढ़ चोकियों स्थापित की गयी हैं।

पेयजल और बिजली आपूर्ति के लिए पर्याप्त व्यवस्था
जल संस्थान ने कन्ट्रोल रूम की स्थापना की है। दैवीय आपदा से सम्बन्धित क्षति केे दृष्टिगत पेयजल योजनाओं के तत्काल ठीक करने के लिए 86.31 कि.मी जी.आई पाइप एवं 110.62 किमी एचडीपीई पाइप शाखाओं में बफर के रूप में उपलब्ध कराए गए हैं। आपदा की स्थिति में पेयजल उपलब्ध कराने के लिए विभिन्न शाखाओं में 71 टैंकर उपलब्ध हैं। जबकि, किराये के 219 पेयजल टैंकर चिन्हित हैं।
उत्तराखंड पावर कारपोरेशन लिमिटेड ने प्रदेशभर में अबाधित विद्युत् आपूर्ति की व्यवस्था की है। हर जिले में स्थापित स्टोर सेंटर पर विद्युत सामग्री प्रचुर मात्रा में उपलबध है। ऋषिकेश में गढ़वाल और हल्द्वानी में कुमाऊ क्षेत्र का मुख्य स्टोर है, जहां पर समस्त सामग्री पहुंचाई जा चुकी है। दोनों गढ़वाल और कुमाऊ मंडल को मिलाकर स्टोर्स की संख्या 17 है। जिसमे ट्रांसफार्मर की संख्या 796, पोल्स की संख्या 8650 अथवा 3769 किलोमीटर का कंडक्टर दोनों गढ़वाल और कुमाऊ मंडल को मिलाकर उपलब्ध है। इसके अतिरिक्त अन्य आवश्यक सामान भी उपलब्ध कराये गए हैं।

चिकित्सा एवं स्वास्थ्य
स्वास्थ्य विभाग द्वारा राज्य के 13 जिलों में 24Û7 उपचार करने हेतु पूर्ण व्यवस्था की गई है। हर जिले में स्थापित सभी चिकित्सालयों में डॉक्टर, पैरामेडिकल स्टाफ और दवाइयां प्रचुर मात्रा में हैं। 108 एम्बुलेंस हर जिले में तैनात हैं। इसके साथ ही हर जिले/मुख्यालय में नोडल एवं सह नोडल अधिकारी तैनात हैं।

एसडीआरएफ के अतिरिक्त एनडीआरएफ की टीमें भी तैनात
15वीं वाहिनी, एनडीआरएफ को आपदा से निपटने के लिए उधमसिंह नगर के गदरपुर में स्थापित किया गया है। 15वीं वाहिनी, एन०डी०आर०एफ० द्वारा मानसून 2022 के मध्यनजर उत्तराखण्ड के अति संवेदनशील एवं संवेदनशील क्षेत्रां को देखते हुए 06 टीमों को अलग-अलग जिलों (अल्मोड़ा, पिथौरागढ, उत्तरकाशी, चमोली, रुद्रप्रयाग (केदारनाथ) एवं आर.आर.सी. झाझरा (देहरादून) में समस्त साजो सामान के साथ तैनात किया है।
आपदा के दृष्टिगत दुर्गम स्थलों में दूर संचार व्यवस्था सुचारू बनाए रखने हेतु एस०डी०आर०एफ० द्वारा उपलब्ध कराए गए सैटेलाइट फोन्स को भी सुचारू रखने हेतु संबंधित प्रभागीय वनाधिकारियों को निर्देश निर्गत कर दिए गए हैं। वर्षाकाल में पेड उखड़ने/गिरने की घटनाओं में वृद्धि हो जाती है व कई बार मार्ग बाधित हो जाते हैं, ऐसी घटनाओं की सूचना प्राप्त होते ही संबंधित वन क्षेत्राधिकारियों को सूचित करते हुए तुरन्त कार्यवाही की जा रही है।

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