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तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की कैबिनेट ने घोषित किया राष्ट्रीय नदी
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गंगा को प्रदूषण मुक्त करने के लिए गठित किया उच्च अधिकार प्राप्त गंगा नदी घाटी प्राधिकरण
नई दिल्ली, एजेंसी। गंगा नदी दुनिया में अपनी शुद्धीकरण क्षमता के कारण जानी जाती है। वैज्ञानिक मानते हैं कि गंगा के जल में बैक्टीरियोफेज नामक विषाणु होते हैं, जो जीवाणुओं व अन्य हानिकारक सूक्ष्मजीवों को जीवित नहीं रहने देते हैं। गंगा नदी के जल में ऑक्सीजन की मात्रा को बनाये रखने की असाधारण क्षमता है। लेकिन, गंगा तट पर बसे औद्योगिक नगरों के नालों की गंदगी सीधे गंगा नदी में मिलने से प्रदूषण पिछले कई सालों से भारत सरकार और जनता के चिन्ता का विषय बना हुआ है।
गंगा को प्रदूषण मुक्त और पुनर्जीवित करने के लिए आज भले ही नमामि गंगे सहित कई अन्य बड़ी परियोजनाएं चल रही हों, लेकिन गंगा को स्वच्छ, निर्मल और अविरल बनाने के कार्य की शुरुआत मनमोहन सिंह के कार्यकाल में हो गई था। 4 नवंबर, 2008 को तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की कैबिनेट ने गंगा को राष्ट्रीय नदी घोषित कर गंगा को प्रदूषण मुक्त करने के लिए उच्च अधिकार प्राप्त गंगा नदी घाटी प्राधिकरण गठित किया था। प्रधिकरण के अध्यक्ष प्रधानमंत्री हैं तथा जिन राज्यों से गंगा बहती है, उनके मुख्यमंत्री इसके सदस्य हैं। 2014 में नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने तो उन्होंने गंगा नदी के लिए 20 हजार करोड़ रुपए के बजट से नमामि गंगे सहित कई अन्य परियोजनाएं शुरू की।
नमामि गंगे परियोजना का उद्देश्य गंगा को प्रदूषण मुक्त और पुनर्जीवित करना है। केंद्र में इसके लिए बाकायदा गंगा कायाकल्प के नाम से अलग से विभाग बनाया गया है। इस परियोजना के तहत दिसंबर 2021 तक पहले चरण में विश्व बैंक से 4,535 करोड़ रुपए मंजूर हो चुके हैं। परियोजना में 25,000 करोड़ रुपये की 313 परियोजनाओं को मंजूरी मिली है। इन परियोजनाओं को दिसंबर 2020 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है, लेकिन मार्च 2020 तक इसमें से सिर्फ 116 पूरी हो पाई पाई।