सीबीआई की ओर से जारी विज्ञप्ति में कहा गया है कि आरोपी लोक सेवकों ने निविदा प्रक्रिया से संबंधित भारत सरकार के दिशा-निर्देशों का घोर उल्लंघन किया। फर्जी आधार पर प्रतिष्ठित बोलीदाताओं की बेईमानी से जांच की और उन महत्वहीन फर्मों को अनुमति दी जिन्होंने अपने निविदा दस्तावेजों में तथ्यों को गलत तरीके से प्रस्तुत किया था।
यह भी आरोप लगाया गया कि आरोपियों ने इन निविदाओं में कार्टेल गठन के अस्तित्व को जानबूझकर नजरअंदाज किया। इसके बाद आरोपी ने कथित तौर पर अपराध के महत्वपूर्ण सबूतों को गायब कर दिया।
रोड स्वीपिंग मशीन की खरीद में 2.41 करोड़ रुपये (लगभग) और केमिस्ट शॉप की स्थापना के लिए टेंडर के पुरस्कार में 2 करोड़ रुपये (लगभग) का कथित नुकसान एम्स को हुआ।
नामजद आरोपी
एम्स के माइक्रोबायोलाजी विभाग में तैनात तत्कालीन अतिरिक्त प्रोफेसर बलराम जी उमर
एनाटामी विभाग के तत्कालीन अध्यक्ष प्रोफेसर बृजेंद्र सिंह,
तत्कालीन सहायक प्रोफेसर अनुभा अग्रवाल
प्रशासनिक अधिकारी शशि कांत
लेखाधिकारी दीपक जोशी
खनेजा कांप्लेक्स शकरपुर दिल्ली स्थित प्रो-मेडिक डियाईसेस के स्वामी पुनीत शर्मा